Tuesday, November 18, 2014

Transparency Watchdogs of India- too transparent to make their asset detail

Press Release : Transparency Watchdogs of India  too transparent to
make their asset details public. पारदर्शिता से परहेज  करते पारदर्शिता
के रखवाले : आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक न करने को कुतर्कों
तक का सहारा ले रहे सूचना आयोग Central Information Commission makes
lame excuses to deter exposure of asset details of its Commissioners
under RTI, Uttar Pradesh info-commissioners fail to file asset details
as mandated by Lokpal & Lokayukta act , exposes RTI.



Lucknow. भारत में पारदर्शिता की मुहिम के लिए भला इससे बड़ा और कोई
दुर्भाग्य क्या होगा जब पारदर्शिता के रखवाले ही पारदर्शिता से परहेज
करते नज़र आ रहे हैं l  सामाजिक संगठन 'तहरीर' के संस्थापक लखनऊ  निवासी
सामाजिक कार्यकर्ता और इंजीनियर संजय शर्मा द्वारा दायर  एक आरटीआई  में
केंद्रीय सूचना आयोग द्वारा अपने आयुक्तों की संपत्ति की सूचना सार्वजनिक
न करने के लिए  कुतर्कों का सहारा लेने का एक मामला सामने आया है तो बहीं
संजय शर्मा द्वारा दायर  एक अन्य आरटीआई में उत्तर प्रदेश राज्य सूचना
आयोग के  आयुक्तों द्वारा अपनी संपत्ति  की जानकारी अभी तक आयोग को ही
नहीं  दिए जाने का खुलासा हुआ है l

‪#‎तहरीर‬ ‪#‎tahrir‬{ Transparency, Accountability & Human Rights’
Initiative for Revolution – TAHRIR }  . भारत में लोक जीवन में
पारदर्शिता संवर्धन, जबाबदेही निर्धारण और आमजन के मानवाधिकारों के
संरक्षण के हितार्थ  जमीनी स्तर पर कार्यशील संस्था  है l


संजय ने बताया कि केंद्र सरकार के कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी)
ने लोकपाल और  लोकायुक्त कानून के तहत "लोकसेवक  :फर्निशिंग आफ
इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ
एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम, 2014"  अधिसूचित किया था । इसके
तहत सभी लोकसेवकों  के लिये अपनी,अपनी पत्नी/पति तथा आश्रित बच्चों की
संपत्ति और देनदारियों का ब्यौरा देना अनिवार्य हो गया था जिसके लिए 5
नये फार्म जारी किये गये थे  जिनमें नकदी, बैंक जमा, बांड, डिबेंचर्स,
शेयर तथा कंपनियों की इकाइयों या म्यूचुअल फंड में किये गये निवेश, बीमा
पालिसी, भविष्य निधि, व्यक्तिगत रिण तथा अन्य किसी व्यक्ति या इकाई को
दिया गया कर्ज समेत अन्य संबंधित जानकारी देनी अनिवार्य  थी ।फार्मों  के
अनुसार लोकसेवकों को अपने, पति-पत्नी या अपने उपर आश्रित बच्चों के पास
उपलब्ध वाहनों, विमान या जहाज, सोना एवं चांदी के आभूषण तथा अपने पास रखे
गये सर्राफा के बारे में भी जानकारी देनी थी। लोकसेवकों को अचल संपत्ति
तथा रिण एवं अन्य देनदारियों के बारे में  31 मार्च 2014 की स्थिति  के
आधार पर 15 सितम्बर 2014 तक  जानकारी देनी थी। नए नियमों के मुताबिक, अगर
लोकसेवक समय पर संपत्ति की जानकारी नहीं देते हैं या गलत ब्योरा देते हैं
तो उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है।


केंद्रीय सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी और उपसचिव सुशील कुमार ने 20
अक्टूबर को दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और  लोकायुक्त कानून 2013 के
तहत  बनाये गए  "लोकसेवक  :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न
आफ एसेट्स एंड लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन
फाइलिंग: नियम, 2014"  के अंतर्गत कार्यवाही प्रचलन में है। संजय  का
कहना है कि उन्होंने सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा के 5
फार्मों की सत्यापित प्रतियां माँगी थीं और  सुशील कुमार  का  कार्यवाही
प्रचलन में होना लिखना  सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना
सार्वजनिक न करने के लिए  कुतर्कों का सहारा लेने से अधिक कुछ भी नहीं है
l संजय  ने इस मामले में केंद्रीय सूचना आयोग के अपीलीय  अधिकारी ए. के.
दाश  को अपील  भेज दी है l



उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के जन सूचना अधिकारी ने  30 सितम्बर को
दिए जबाब में लिखा है कि लोकपाल और  लोकायुक्त कानून 2013 के तहत  बनाये
गए  "लोकसेवक  :फर्निशिंग आफ इनफार्मेशन एंड एनूअल रिटर्न आफ एसेट्स एंड
लाइबलिटीज एंड द लिमिट्स आफ एम्जेम्पशन आफ एसेट्स इन फाइलिंग: नियम,
2014"  के अंतर्गत राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा के 5
फार्मों की सत्यापित प्रतियां उत्तर प्रदेश राज्य सूचना आयोग के कार्यालय
में धारित ही  नहीं हैं l


संजय ने राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक
आयोग को भी नहीं दिए जाने  पर खेद व्यक्त करते हुए बताया कि कुछ
नवनियुक्त सूचना आयुक्तों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने
परिवारीजनों के नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की शिकायतों की
पुष्टि करने हेतु ही उन्होंने यह आरटीआई डाली थी और  इस  आरटीआई के जबाब
ने उनकी नवनियुक्त सूचना आयुक्तों द्वारा भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपने
  परिवारीजनों के नाम पर अचल सम्पत्तियों में भारी निवेश की आशंका को और
भी पुष्ट कर दिया है l संजय  ने  अब  राज्य सूचना आयुक्तों द्वारा
संपत्ति की घोषणा की सूचना अभी तक सार्वजनिक नहीं करने के इस मामले में
राज्यपाल से मिलकर राज्यपाल से हस्तक्षेप करने की अपील करने की बात कही
है l


Lucknow based Social activist and Engineer Sanjay Sharma filed a RTI
with the CPIO of Central Information Commission ( CIC ) to get
certified copies of asset details filed by Info-commissioners as
mandated by Lokpal & Lokayukta act in 5 performa. Reply sent by Sushil
Kumar, Deputy Secretary ( admn. ) & CPIO of CIC asserts that The
action is under process. Sanjay says that this makes it clear that
till now, either info-commissioners at CIC have not submitted asset
returns on these 5 performa or CPIO of Central Information Commission
is making  lame excuses to deter exposure of asset details of its
Commissioners under RTI.


Sanjay said that In July, the Department of Personnel & Training
under the Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions, had
issued a notification under the Lokpal and Lokayuktas Act that
mandated  every public servant to file a declaration, information and
annual returns of assets and liabilities of his family including
himself as of 31 March 2014 and that too on or before 15 September
2014. INFO-COMMISSIONERS too, are public servants and are very much
required to comply this notification in letter & spirit, said Sanjay.


Sanjay said that its shocking that even the transparency watchdog of
India is reluctant to make annual property returns, a mandatory
obligation under the Lokpal and Lokayukta Act, public. If
info-commissioners themselves do not follow the government's
directives, how can they direct others to do so?" asked Sanjay , the
Lucknow-based Social activist & founder of ‘TAHRIR’ who filed the
query.


"Corruption maybe another aspect of this issue. The fact that
Info-commissioners are reluctant to share information about their
property hints at possible corruption. Our newly elected Prime
Minister's USP is good governance. If Info-commissioners conceal
information about their property, how can Narendra Modi's vision of
providing good and efficient governance be realised?" Sanjay asked. In
this matter, Sanjay has sent First appeal to A. K. Dash, First
appellate authority of CIC.

On a separate RTI plea of Sanjay Sharma, PIO of Uttar Pradesh State
Information Commission ( UPSIC ) has flatly written that no
information related to  asset details of its Commissioners i.e. the
certified copies of asset details filed by Info-commissioners as
mandated by Lokpal & Lokayukta act in 5 performa was available with
him which meant all of the info-commissioners have failed to file
asset details as mandated by Lokpal & Lokayukta act.


Sanjay says that he filed this RTI with UPSIC on a tip-off of
purchasing a large chunk of land and investments in real estate by
some info-commissioner of UPSIC in the name of members of his family
out of money made by corrupt practices at UPSIC and adds that this RTI
reply by PIO of UPSIC has further cemented his doubts on honest and
integral discharge of functions by existing info-commissioners of
UPSIC. Sanjay shall soon meet Governor of U.P. to intervene in this
matter and do the needful to make info-commissioners accountable to
the public.


-- 
-- 
-Sincerely Yours,

Urvashi Sharma
Secretary - YAISHWARYAJ SEVA SANSTHAAN
101,Narayan Tower, Opposite F block Idgah
Rajajipuram,Lucknow-226017,Uttar Pradesh,India
Contact 9369613513
Right to Information Helpline 8081898081
Helpline Against Corruption  9455553838


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